Wednesday, January 23, 2019

传奇人物纳达尔:世界上第一位名人摄影师

纳达尔在他的出生地法国是一个传奇人物。他身材高大,长着一头红棕色的头发。他精力旺盛,有极强的成功欲。纳达尔既是一名记者,也是一名漫画家。在职业生涯中,他能清晰地记住每一位接触过的人。他敏锐地观察到大众对名人的关注不断增长,认为利用图片能更好地传达名人的心理特征。他绘制了19世纪中期生活在巴黎的重要艺术家、作家和演员复杂的心理,在新兴的媒体平台用另一种艺术手法加以展示。

纳达尔具有自我推销能力和乘坐热气球探险的勇气,这使他与他绘制的名人一样出名。他把自己的名字写在他巴黎奢华摄影工作室前的一根红色玻璃管上,字母高达10英尺(3米),每到夜晚发出彩色霓虹光。

贝格利(Adam Begley)为纳达尔写了本传记,他说:“纳达尔之所以能够认识到新媒体平台上的名人文化,部分原因是因为,他喜欢名人,并希望自已也能成为名人。他很自恋,但也很迷人。”

飞近太阳
19岁时,纳达尔与人合作,创办了一家奢华文学期刊《黄金书刊》(Livre d'or),表现出他的抱负和惊人的自信心。他也成功地吸引了巴尔扎克、大仲马这样著名作家参与。不过在巴尔扎克的作品刊登前,这本杂志已经停刊。但在后来写回忆录时,纳达尔证明了自己遇到过偶像。

纳达尔是法国文学协会(Société des Gens de Lettres)的成员,这让他能够和大仲马、乔治桑和雨果这样的文学巨匠交流。这种友谊在他后期开始创作漫画作品时得到了很好的利用。他没能完成的作品《纳达尔泛神殿》(Panthéon Nadar)称得上是一个鸿篇巨制。纳达尔希望这个作品能成为法国漫画界的一种新文化现象,这样既迎合了漫画中的人,也对公众有强烈的吸引力。

纳达尔在作画时让主人公坐在眼前,这既锻炼了他的观察力,也让他能够维妙维肖地描绘出画中人的个性特征。

1854年,他决定转行摄影,这是职业生涯中第一次和艺术家兄弟阿德里安合作。当年他对画中人的投入是一份无价之宝。贝格利说:“他发现人们愿意花钱买名人照片。他们由此发现了商机:冲印照片很方便,而且人们又给予了它新的价值。”

纳达尔决定利用摄影技术,创作具有自己独到见解的作品。纳达尔兄弟作品展正在巴黎国家图书馆展出,联合策划人拉科斯特(Anne Lacoste)说:“当时大多数肖像摄影工作室都会用底色背景,配上很多的装饰品。他们往往把重点放在穿着上。但纳达尔不同,工作室背景幕布用的是中性的颜色,注重人物的脸部神情,试图通过神情来传达人的个性特征。”

纳达尔在运用光线方面有独特技巧,他能让拍摄中人物脸部明亮凸显,从背景中鲜活生动起来。这是他的同行们所达不到的。其中一张照片是年轻而不被人知的伯恩哈特小姐,她身着一件简单的长袍,纳达尔运用摄影技巧,突显了她脸庞的可爱特征,令当时的观众着迷

相比之下,当时更知名的是德拉克洛瓦(Delacroix)和马奈。他们在这幅作品中流露出骄傲,图中马奈把手放在臀部,暗示着面对艺术批评时心里的蔑视。赫尔曼(Karen Hellman)是盖蒂博物馆摄影展策划人,也是展览目录的撰稿人,他说:“纳达尔有一种技巧,能和被拍摄人建立起精神联系。当人们看到肖像作品时,会感觉到与作品中人物的交流,这是前所未有的。”

纳达尔的早期作品中,阿德里安参与制作了多少,是有争议的。虽然阿德里安为迷人的戴博拉(Charles Deburau)拍摄过精彩的人物照,并因此获奖,但贝格利仍对此表示怀疑。然而拉科斯特对他的才能深信不疑。她说:“这两幅带草帽的自画像,是人们公认的早期最好摄影之一。”

无论如何,后来阿德里安自称为“小纳达尔”,纳达尔忍受不下去,便把兄弟告上了法庭,已获得独有“纳达尔”名字的权利。胜诉之后,纳达尔的事业蓬勃发展,而阿德里安的名字逐渐被忘却。1860年,纳达尔搬到卡普西内斯大道一座新建的房子里(1874年第一次印象派画展就是在这里举办的,参展的画家包括莫奈、德加、雷诺阿、皮萨罗和莫里索)。

迪里奥(Louis Thiriot)来自外省,是一个年轻的摄影师。在纳达尔的工作室迪里奥见到了许多名人——作曲家奥芬巴赫(Jacques Offenbach)、艺术家杜雷(Jacques Offenbach)、大仲马,还有当时在法兰西戏剧院出演的很多演员,足以让他眼花缭乱。有时人们拍照还会摆出击剑比赛的姿势,这让迪里奥更加惊讶。

Friday, January 11, 2019

शहर के बीचोंबीच सबसे बड़ा पेन एरिया है स्लाटर हाउस, पार्षदों के अड़ंगे के कारण अटकी शिफ्टिंग

शहर के बीचोंबीच जिंसी में चल रहे स्लाटर हाउस को बंद करके आदमपुर छावनी में शिफ्टिंग को लेकर नगर निगम के पक्ष और विपक्ष के पार्षदों सहित कोई भी गंभीर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और एनजीटी के आदेश के बावजूद स्लाटर हाउस की शिफ्टिंग टलती जा रही है।

मंगलवार को नगर निगम परिषद की बैठक में स्लाटर हाउस के टेंडर की मंजूरी के प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही बैठक स्थगित हो गई। परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान, महापौर आलोक शर्मा और नेता प्रतिपक्ष मो सगीर सहित किसी भी पार्षद ने इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की कोशिश नहीं की। 22 जनवरी को इस मामले की एनजीटी में पेशी होना है। एनजीटी ने निगम के अधिवक्ता को वर्क ऑर्डर के साथ पेश होने को कहा है, परिषद की मंजूरी के बिना यह संभव नहीं है। ऐसे में एनजीटी सख्त आदेश जारी कर सकती है।

एनजीटी ने 20 मार्च 2015 को स्लाटर हाउस को बंद करके 31 मार्च 2018 तक हर हाल में शहर से बाहर संचालन शुरू करने के निर्देश दिए थे। यह नहीं होने पर एनजीटी ने 2 करोड़ रुपए का एकमुश्त जुर्माना और दस हजार रुपए रोजाना की पेनाल्टी निगम पर लगाई। इस पर निगम ने एनजीटी में पेनाल्टी निरस्त करने का आवेदन दिया है। एनजीटी ने पेनाल्टी स्थगित कर दी है लेकिन प्रोजेक्ट की नियमित मॉनिटरिंग भी कर रही है।
दोबारा बुलाना पड़े टेंडर... इस मामले में निगम को दुबारा टेंडर बुलाना पड़े, क्योंकि पूर्व में चयनित कंपनी 35 एकड़ से कम जमीन पर स्लाटर हाउस बनाने को राजी नहीं थी। इस टेंडर को निरस्त करके नए टेंडर बुलाए गए। 

राज्य शासन दो बार जारी कर चुका है नोटिस :

इस मामले में जमीन के आरक्षण और आवंटन का मुद्दा राज्य शासन से जुड़ा हुआ है। एनजीटी राज्य शासन को भी आड़े हाथों ले चुकी है। 28 फरवरी 2017 को तत्कालीन प्रमुख सचिव (नगरीय प्रशासन) विवेक अग्रवाल ने एनजीटी में एफिडेविट दिया था, जिसमें जमीन आवंटन हो जाने की बात कही गई थी। 3 अगस्त 2017 को जब परिषद में यह प्रस्ताव गिर गया तो 26 अगस्त को राज्य शासन ने महापौर और नगर निगम आयुक्त को नोटिस भेज कर कारण पूछा। इस नोटिस का जवाब समय पर नहीं जाने पर 20 सितंबर को भेजे नोटिस में परिषद के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। इसके बाद 3 अक्टूबर 2017 की परिषद बैठक में आदमपुर छावनी में स्लाटर हाउस बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी।

जांच में चूक से वैट का नुकसान
अधिकारियों ने बिल्डरों और ठेकेदारों के खातों, खरीदी, टीडीएस आदि की जांच की, लेकिन इसमें उनसे चूक हुई। चूक के कारण 125 प्रकरणों में टर्नओवर 872.97 करोड़ रुपए कम निर्धारित हुआ। इससे वैट 226.13 करोड़ रुपए कम लगा। ठेकेदारों और उप ठेकेदारों के बीच टीडीएस संबंधी गफलत के कारण 171.82 करोड़ रुपए के टर्नओवर की जानकारी सम्मिलित नहीं की जा सकी, जिससे टैक्स 20.6 करोड़ रुपए कम लगाया गया।

सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वालों को छोड़ेंगे नहीं

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि विधानसभा के पटल पर रखी गयी भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ( कैग ) की रिपोर्ट में जिस तरह से पिछली सरकार के कार्यकाल में वित्तीय अनियमित्ताओं व वित्तीय प्रबंधन की कमज़ोरियां उजागर हुई हैं। करोड़ों रुपये के नुक़सान की बात सामने आई है। उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि किस तरह का एक गठजोड़ पिछली सरकार में कार्य कर रहा था। भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा था। हम सारे मामलों की विस्तृत जांच करवाएंगे। सरकारी ख़ज़ाने को नुक़सान पहुंचाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।

Sunday, January 6, 2019

भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार जीती टेस्ट सिरीज़

भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में किसी टेस्ट सिरीज़ में जीत हासिल की है. सिडनी टेस्ट के पांचवें दिन बारिश के चलते मैच को समय से पहले ड्रॉ घोषित किए जाने के साथ ही भारत ने चार टेस्ट मैचों की मौजूदा सिरीज़ को 2-1 से जीत लिया है.

इस जीत के साथ ही भारतीय क्रिकेट टीम ने गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमा लिया है.

चेतेश्वर पुजारा को मैन ऑफ़ द सिरीज़ चुना गया. उन्होंने सिरीज़ में 74 की औसत से 521 रन बनाए और इस सिरीज़ में पुजारा ने तीन शतक जमाए.

सिरीज़ के चारों टेस्ट मैच का हाल
एडिलेड टेस्ट: भारत - 250 रन (पहली पारी), 307 रन ( दूसरी पारी), ऑस्ट्रेलिया- 235 रन (पहली पारी), 291 रन (दूसरी पारी)

नतीजा- भारत 31 रन से जीता

मैन ऑफ़ द मैच- चेतेश्वर पुजारा

पर्थ टेस्ट: ऑस्ट्रेलिया- 326 रन ( पहली पारी), 243 रन ( दूसरी पारी) भारत- 283 रन (पहली पारी) 140 रन (दूसरी पारी)

पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद से अपने करियर की शुरुआत करने वाले मनमोहन सिंह ने कैंब्रिज में भारत के निर्यात और आयात पर अपना शोध किया था. कैंब्रिज से वापस आने पर उन्हें विदेश व्यापार विभाग में बतौर सलाहकार रखा गया था.

मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह उनकी जीवनी 'स्ट्रिक्टली पर्सनल-मनमोहन एंड गुरशरन' में लिखती हैं, "मेरे पिता अपनी नम्रता को त्याग कर खुलेआम कहा करते थे कि उस समय विदेशी व्यापार के मुद्दों पर भारत में उनसे अधिक जानने वाला कोई नहीं था. उस समय उनके मंत्री थे ललित नारायण मिश्र."

"एक बार वो मनमोहन सिंह से नाराज़ हो गए, क्योंकि वो कैबिनेट को भेजे जाने वाले एक नोट से सहमत नहीं थे. मनमोहन सिंह ने कहा कि वो दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स में प्रोफ़ेसर की अपनी नौकरी पर वापस चले जाएंगे."

"प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सचिव पीएन हक्सर को इसकी भनक लग गई. उन्होंने कहा कि तुम वापस नहीं जाओगे. उन्होंने उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद 'ऑफ़र' कर दिया. इस तरह मंत्री से लड़ाई उनके लिए प्रमोशन लेकर आई."

मनमोहन सिंह ने इसके बाद योजना आयोग के सदस्य और उपाध्यक्ष, रिज़र्व बैंक के गवर्नर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख के तौर पर काम किया. साल 1991 में नरसिम्हा राव ने उन्हें भारत का वित्त मंत्री बनाया.

नरसिम्हा राव के जीवनीकार विनय सीतापति बताते हैं, "नरसिम्हा राव के पास विचारों की कमी नहीं थी. उनको एक चेहरा या मुखौटा चाहिए था, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और उनके घरेलू विरोधियों की भावनाओं पर मरहम लगा सके. साल 1991 में पीसी एलेक्ज़ेंडर उनके सबसे बड़े सलाहकार थे."

"नरसिम्हा राव ने पीसी एलेक्ज़ेंडर से कहा कि मैं एक ऐसे शख़्स को वित्त मंत्री के रूप में चाहता हूं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत धाक हो. एलेक्ज़ेंडर ने उन्हें आईजी पटेल का नाम सुझाया जो एक समय में रिज़र्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे और उस समय लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स के डायरेक्टर थे."

"पटेल ने राव की पेशकश को स्वीकार नहीं किया क्योंकि वो उस समय दिल्ली में रहने के लिए तैयार नहीं थे. फिर पीसी एलेक्ज़ेंडर ने मनमोहन सिंह का नाम लिया. शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले 20 जून को एलेक्ज़ेंडर ने मनमोहन सिंह को फ़ोन किया."

新冠灭活疫苗研制企业:年内完成疫苗生产车间建设

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