Monday, December 24, 2018

खाद्य मंत्रालय चीनी मिलों को 7,400 करोड़ का सस्ता कर्ज और देगी

सरकार चीनी मिलों को कम ब्याज पर 7,400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज देने की तैयारी कर रही है। यह कर्ज हाल में शुरू की गई योजना के तहत एथनॉल उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए दिया जाएगा। खाद्य मंत्रालय जून में शुरू की गई इस योजना के तहत यह सुनिश्चित करने पर विचार कर रहा है कि नॉनमोलासेस डिस्टलरीज भी नई एथनॉल निर्माण क्षमता लगाने या उसके विस्तार के लिए सस्ता कर्ज ले पाएं।

योजना के तहत सरकार ने मिलों को 4,400 करोड़ का कर्ज देने और 5 साल के लिए 1,332 करोड़ की ब्याज सहायता देने की घोषणा की है। इसमें एक साल तक ब्याज न चुकाने की छूट की अवधि भी शामिल है। अतिरिक्त सस्ता कर्ज देने पर मंजूरी लेने के लिए नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। फिलहाल योजना के तहत मोलासेस-आधारित डिस्टलरीज को ही इसकी अनुमति है।

सस्ते कर्ज के लिए 282 आवेदन आए, 114 को मंजूरी
खाद्य मंत्रालय को 13,400 करोड़ रुपए के सस्ते कर्ज के लिए 282 आवेदन मिले हैं। इसमें से 6,000 करोड़ रुपए की कर्ज राशि के 114 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। शेष 168 आवेदनों के लिए मंत्रालय और 7,400 करोड़ रुपए का सस्ता कर्ज देने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की योजना बना रहा है। इस पर सब्सिडी का बोझ 1,600 करोड़ रु. आएगा।

आईटी सेक्टर ने 2018 में अच्छा प्रदर्शन किया
एचआर फर्म रैंडस्टैड इंडिया के प्रमुख पॉल डी. के अनुसार दो साल भर्तियां कम रहने के बाद आईटी सेक्टर ने 2018 में अच्छा प्रदर्शन किया। ईकॉमर्स में निवेश बढ़ने और स्किल्ड लोग उपलब्ध होने के कारण भर्तियां बढ़ी हैं। 2018 में इन्फ्राट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल और एफएमसीजी में सुधार देखने को मिला। दूसरी तरफ बैंकिंग, फाइनशिेंयल सर्विसेज और टेलीकॉम में स्थिति खराब रही। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की प्रमुख ऋतुपर्णचक्रवर्ती के अनुसार छोटे और मझोले शहरों में उपभोक्ताओं का खर्च बढ़ेगा। इसका फायदा रिटेल कंपनियों को मिलेगा।

कंपनियां खास स्किल वालों को रखने पर ध्यान दे रहीं
हायरिंग फर्म एऑन कोक्यूब्स में एंप्लॉयबिलिटी सॉल्यूशंस के डायरेक्टर समीर नागपाल के अनुसार कंपनियां खास स्किल वालों को रखने पर ध्यान दे रही हैं। तकनीकी रूप से दक्ष लोगों की मांग बनी रहेगी। इंडीड इंडिया के एमडी शशि कुमार ने बताया कि 2018 में कंपनियों को ऐसे लोगों की तलाश थी जो काम की बदलती प्रकृति के हिसाब से कंपनी को आगे बढ़ा सकें। ब्लॉकचने, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सिक्योरिटी में नौकरियां ज्यादा बढ़ीं। आगे भी इनमें डिमांड रहेगी।

नई टेक्नोलॉजी में स्किल्ड लोगों को 50% तक इन्क्रीमेंट संभव
एचआर विशेषज्ञों का कहना है कि 2018 में कर्मचारियों को औसतन 8-10% इन्क्रीमेंट मिला। 2019 में भी इन्क्रीमेंट की यही दर रहने के आसार हैं। एऑन कोक्यूब्स में एंप्लॉयबिलिटी सॉल्यूशंस के डायरेक्टर समीर नागपाल के अनुसार भारत में इन्क्रीमेंट 9-10% के आसपास स्थिर हो रहा है। यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा है। 2018 में औसत इन्क्रीमेंट 9.5% रहा। 2019 के लिए इसका अनुमान 9.6% का है। हालांकि ग्लोबल हंट के एमडी सुनील गोयल का मानना है कि औसत इन्क्रीमेंट 10-12% रहेगा। टॉप परफॉर्मर का इन्क्रीमेंट 15-20% और औसत परफॉर्म करने वालों का 5-8% रह सकता है। खास क्षेत्रों में दक्षता रखने वाले 30-50% तक इन्क्रीमेंट पा सकते हैं।

Tuesday, December 11, 2018

छत्तीसगढ़ में योगी का आशीर्वाद क्यों हुआ निष्फल?

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी का चुनाव प्रचार थोड़ा अलग था. वहाँ बीजेपी खेमे के प्रचार की अगुआई प्रधानमंत्री मोदी नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ के कंधों पर थी.

12 और 20 नवंबर को चुनाव हुए, और सात दिसंबर को जैसे ही देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरे हुए, टीवी चैनलों पर अलग-अलग एग्ज़िट पोल दिखाए जाने लगे.

अपने-अपने दावों के तहत इन एग्ज़िट पोल ने कांग्रेस को राजस्थान में आसान जीत और मध्यप्रदेश में बढ़त पाने के संकेत दिखाए गए.

इस बीच ये एग्ज़िट पोल महज़ एक राज्य की तस्वीर साफ नहीं कर पाए. यह राज्य था छत्तीसगढ़.

कुछ ने बताया कि यहां रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी चौथी बार सरकार बनाएगी वहीं कुछ ने कांग्रेस की जीत का दावा किया.

हालंकि, एग्जिट पोल की चर्चाओं के बाद मंगलवार को जब मतपेटियां खुलने लगीं और उसके बाद ईवीएम में पड़े वोटों की गिनती शुरू हुई तो सबसे पहले जिस राज्य की तस्वीर साफ हुई वह छत्तीसगढ़ ही था.

छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं. रुझानों के मुताबिक कांग्रेस 60 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं बीजेपी के खाते में बमुश्किल 19 सीटें आ रही हैं. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने हार की ज़िम्मेदारी स्वीकार भी कर ली है.

इसके अलावा अजीत जोगी और मायावती के गठबंधन को 8 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं.

किसानों की नाराज़गी?

छत्तीसगढ़ के चुनावी नतीजे देखने के बाद लगता है कि जैसे यहां बीजेपी ने कोई चुनावी रणनीति ही नहीं बनाई थी.

अगर हम वोट प्रतिशत पर नज़र डालें तो स्थिति और साफ हो जाती है. यहां कांग्रेस को जहां 43 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं वहीं बीजेपी के पाले में करीब 33 प्रतिशत वोट ही पड़े हैं.

वोट प्रतिशत में 10 फीसदी का फ़ासला दिखाता है कि यहां बीजेपी को कितनी बुरी हार का सामना करना पड़ा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि इसकी सबसे बड़ी वजह क्या है.

छत्तीसगढ़ में काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजय भान सिंह इसके पीछे बीजेपी की हल्की रणनीति को प्रमुख वजह बताते हैं.

अजय कहते हैं, ''बीजेपी की हार के पीछे बड़ी वजह किसानों की नाराजगी है. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किसानों की कर्ज़माफी का ज़िक्र किया था साथ ही ज़मीनीस्तर पर वह संदेश देने में कामयाब रही थी कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो किसानों की बदहाल स्थिति में सुधार आएगा.''

''कर्ज़माफी की बात जानने के बाद किसानों के वोटबैंक में बड़ा फर्क देखने को मिला और वे बीजेपी की जगह कांग्रेस की तरफ झुक गए, वैसे भी देश भर में इस साल कई बार किसानों ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला, इस तरह बीजेपी की किसान विरोधी छवि अपने-आप ही बनने लगी थी.''

新冠灭活疫苗研制企业:年内完成疫苗生产车间建设

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